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वास्तु शास्त्र के अनुसार मकान कैसे बनाएं। और किस दिशा में मकान बनाए।

हेलो दोस्तों मेरा नाम आशीष सीहोर है । मैं एक सिविल इंजीनियर हूं। जो आज आपको वास्तु शास्त्र के हिसाब से मकान किस दिशा में बनाएं ।  किस दिशा में रखें पूजा रूम । किस दिशा में रखें बैडरूम  सीढ़ी के नीचे टॉयलेट बनाए या ना बनाए और भी बहुत सी ऐसी जानकारी देना चाहता हूं ।  आप जब भी अपना घर बनाए तो वह वास्तु के हिसाब से बने और आपको कम से कम दुखों का सामना करना पड़े वास्तु शास्त्र से मकान इसीलिए बनाए जाते हैं ताकि कुछ शैतानी शक्ति और कुछ ऐसी घटनाओं से बचा जा सके ग्रह दोष से बचा जा सके। इसलिए वास्तु शास्त्र का उपयोग मकान बनाने के लिए या जाता है या वास्तु शास्त्र के हिसाब से मकान बनाया जाता है ताकि बुरी ताकतों से बचा जा सके।



हिंदू वास्तु शास्त्र (Vastu Shastra) आवास और अपार्टमेंट के लिए एक प्राचीन भारतीय वास्तुकला है. ये वास्तु शास्त्र के टिप्स जो की वस्तुत: घर की वास्तु गाईड है, इसमें आप किचन के वास्तु ज्ञान, रूम (Room) और मास्टर रूम के वास्तु टिप्स, पूजा घर के वास्तु निर्देश और मेन गेट के सही घर वास्तु (house) उपयोग के बारे में जान सकते हैं।




वास्तु शास्त्र भारत की प्राचीन वास्तु कला है, जिसके उपयोग से वास्तु मकान आदि, का निर्माण करना चाईए, ताकि जीवन में कम से कम दुःख आये एवं जीवन खुशियों से परिपूर्ण हो. भारतीय शास्त्रों में वास्तु पुरुष की कल्पना एक देवता के रूप में की गई है. प्राचीन काल से अब तक मानवीय निर्माण में बहुत से परिवर्तन आ चुके है, उसी अनुरूप वास्तु शास्त्र को भी परिवर्तित किया गया है, वर्तमान वास्तु शास्त्र के कई सिद्धांत, प्राचीन वास्तु शास्त्र से मेल नहीं खाते, अत: मानव आज भी वास्तु से पूर्ण संतुष्ट नहीं है, जैसे प्राचीन वास्तु शास्त्र में मल निकासी की जगह (टॉयलेट) को घर के वास्तु में जगह नहीं दी गई थी, बल्कि घर से बाहर उसकी व्यवस्था को कहा गया था, परन्तु आज के वास्तु में उसको जगह (नैश्रृत्य कोण या दक्षिण) दी गई है, वस्तुत: वो पितृ कोण या यम कोण है एवं ये दोनों ही देवता गिने जाते है, तो उस जगह पर मल निकासी अनुचित ही है, पर वर्तमान समय में इसका पर्याय नहीं है।

वास्तु शास्त्र के हिसाब से कौन सी दिशा में क्या होना चाहिए।

पूर्व दिशा -  पूर्व दिशा सूर्योदय की दिशा है। इस दिशा से सकारात्मक व ऊर्जावान किरणें हमारे घर में प्रवेश करती हैं। यदि घर का मेनगेट इस दिशा में है तो बहुत अच्छा है। खिड़की भी रख सकते हैं।

पश्चिम दिशा - आपका रसोईघर या टॉयलेट इस दिशा में होना चाहिए। रसोईघर और टॉयलेट पास- पास न हो, इसका भी ध्यान रखें।

उत्तर दिशा - इस दिशा में घर के सबसे ज्यादा खिड़की और दरवाजे होने चाहिए। घर की बालकॉनी व वॉश बेसिन भी इसी दिशा में होना चाहिए। यदि मेनगेट इस दिशा में है और अति उत्तम।

दक्षिण दिशा - दक्षिण दिशा में किसी भी प्रकार का खुलापन, शौचालय आदि नहीं होना चाहिए। घर में इस स्थान पर भारी सामान रखें। यदि इस दिशा में द्वार या खिड़की है तो घर में नकारात्मक ऊर्जा रहेगी और ऑक्सीजन का लेवल भी कम हो जाएग। इससे घर में क्लेश बढ़ता है।

उत्तर-पूर्व दिशा - इसे ईशान दिशा भी कहते हैं। यह दिशा जल का स्थान है। इस दिशा में बोरिंग, स्वीमिंग पूल, पूजास्थल आदि होना चाहिए। इस दिशा में मेनगेट का होना बहुत ही अच्छा रहता है।

उत्तर-पश्चिम दिशा - इसे वायव्य दिशा भी कहते हैं। इस दिशा में आपका बेडरूम, गैरेज, गौशाला आदि होना चाहिए।



दक्षिण-पूर्व दिशा - इसे घर का आग्नेय कोण कहते हैं। यह ‍अग्नि तत्व की दिशा है। इस दिशा में गैस, बॉयलर, ट्रांसफॉर्मर आदि होना चाहिए।

दक्षिण-पश्चिम दिशा - इस दिशा को नैऋत्य दिशा कहते हैं। इस दिशा में खुलापन अर्थात खिड़की, दरवाजे बिलकुल ही नहीं होना चाहिए। घर के मुखिया का कमरा यहां बना सकते हैं। कैश काउंटर, मशीनें आदि आप इस दिशा में रख सकते हैं।

घर का आंगन - घर में आंगन नहीं है तो घर अधूरा है। घर के आगे और पीछे छोटा ही सही, पर आंगन होना चाहिए। आंगन में तुलसी, अनार, जामफल, मीठा या कड़वा नीम, आंवला आदि के अलावा सकारात्मक ऊर्जा देने वाले फूलदार पौधे लगाएं।

अगर आप वास्तु शास्त्र के अनुसार मकान बनवाना चाहते हैं। तो आप मुझसे कांटेक्ट कर सकते हैं। किसी भी प्रकार के मकान के नक्शे बनाने के लिए मुझसे संपर्क कर सकते हैं।






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